✈️ परिचय
अमेरिका के H-1B वीज़ा की नई फीस ने दुनिया भर के टेक प्रोफेशनल्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब इस वीज़ा की कीमत लगभग $100,000 (करीब ₹88 लाख) तक पहुँच गई है, जिससे भारतीय IT और इंजीनियरिंग पेशेवरों के लिए अमेरिका में करियर बनाना पहले से कहीं ज़्यादा मुश्किल हो गया है।
लेकिन अच्छी ख़बर यह है कि अब सात देश भारतीयों के लिए नए अवसर लेकर सामने आए हैं। आइए जानते हैं कौन-से देश हैं और क्या ऑफ़र दे रहे हैं।
7 देशों ने खोले भारतीय टैलेंट के लिए दरवाज़े:
🇨🇳 1. चीन – K-वीज़ा से खुले नए दरवाज़े
चीन ने अमेरिकी H-1B के मुकाबले अपनी “K-वीज़ा” नीति लॉन्च की है। यह वीज़ा खास तौर पर STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) प्रोफेशनल्स के लिए है।
इस वीज़ा की खासियत यह है कि इसमें जॉब ऑफ़र की ज़रूरत नहीं है। यानी अगर आप एक योग्य इंजीनियर, रिसर्चर या टेक्निकल एक्सपर्ट हैं, तो आप सीधे चीन जाकर काम या शोध कर सकते हैं। यह कदम साफ दिखाता है कि चीन अब भारतीयों सहित वैश्विक टैलेंट को अपने देश में आकर्षित करना चाहता है।
🇨🇦 2. कनाडा – टेक टैलेंट के लिए खुला रास्ता
कनाडा लंबे समय से भारतीय प्रोफेशनल्स का पसंदीदा गंतव्य रहा है। अब, जब अमेरिका ने H-1B फीस बढ़ाई है, कनाडा ने अपने वर्क वीज़ा प्रोग्राम्स को और लचीला बना दिया है।
नए इमिग्रेशन प्रोग्राम्स के तहत, भारतीय IT प्रोफेशनल्स और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के लिए वीज़ा प्रोसेस को तेज़ और सरल किया गया है। कनाडा सरकार चाहती है कि जो टैलेंट अब अमेरिका की महंगी नीति से हिचक रहा है, वह कनाडा को अपना नया ठिकाना बनाए।
🇩🇪 3. जर्मनी – जॉब ऑफ़र के बिना भी वर्क वीज़ा!
जर्मनी ने भारतीय टैलेंट के लिए “Opportunity Card” योजना शुरू की है। इस कार्ड के ज़रिए लोग बिना किसी जॉब ऑफ़र के भी जर्मनी जाकर नौकरी ढूंढ सकते हैं।
यह कदम खास तौर पर उन भारतीय युवाओं के लिए है जो यूरोप में करियर बनाना चाहते हैं लेकिन शुरुआत में किसी नियोक्ता (employer) से ऑफ़र लेटर नहीं मिल पाता।
जर्मनी की यह पॉलिसी भारतीयों के लिए यूरोप में अवसरों का नया रास्ता खोलती है।
🇬🇧 4. ब्रिटेन – ग्लोबल टैलेंट वीज़ा को और आसान बनाया गया
ब्रिटेन ने भी हाल ही में अपने Global Talent Visa और Skilled Worker Visa की शर्तों को आसान किया है।
इस बदलाव से भारतीय टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और एजुकेशन सेक्टर के पेशेवरों को ब्रिटेन में नौकरी पाना अब पहले से अधिक सहज हो गया है।
यूके सरकार का उद्देश्य है कि अमेरिका की सख्त वीज़ा नीति से निराश लोगों को वह अपने देश की ओर आकर्षित कर सके।
🇹🇼 5. ताइवान – गोल्ड कार्ड से वर्क और रेज़िडेंस दोनों की सुविधा
ताइवान ने भारतीय टेक और इंजीनियरिंग प्रोफेशनल्स के लिए “Employment Gold Card” लॉन्च किया है।
यह कार्ड सिर्फ़ वर्क परमिट नहीं देता, बल्कि इसके साथ आपको रहने की अनुमति (residency) भी मिलती है।
इस कार्ड की वैधता तीन साल तक की होती है और इसके धारक को देश में स्वतंत्र रूप से काम करने, रहने और परिवार को साथ लाने की छूट मिलती है।
अमेरिका की तुलना में ताइवान अब एशिया का उभरता हुआ नया टेक-हब बन रहा है।
🇳🇿 6. न्यूज़ीलैंड – पढ़ाई से स्थायी निवास तक का आसान रास्ता
न्यूज़ीलैंड ने भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स के लिए अपने Study-to-Residence प्रोग्राम में तेजी लाई है।
अब वहां पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को पढ़ाई के बाद सीधे वर्क वीज़ा और आगे चलकर स्थायी निवास (PR) के लिए आवेदन का मौका मिलेगा।
न्यूज़ीलैंड की यह नीति स्पष्ट रूप से भारतीय प्रतिभाओं को लंबे समय के लिए आकर्षित करने की दिशा में है।
🇦🇪 7. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) – ग्रीन वीज़ा से आत्मनिर्भर प्रोफेशनल्स को राहत
UAE ने अपने Green Visa प्रोग्राम को और आकर्षक बना दिया है।
यह वीज़ा उन लोगों के लिए है जो फ्रीलांस, स्टार्ट-अप या सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट के क्षेत्र में काम करते हैं।
इस वीज़ा से भारतीय प्रोफेशनल्स को स्थिरता के साथ काम करने और परिवार को साथ रखने की सुविधा मिलती है।
अमेरिका के मुकाबले UAE की नीतियाँ अब ज़्यादा खुली और किफ़ायती हैं — जिससे भारतीयों के लिए यह एक स्मार्ट विकल्प बन गया है।
🌏 निष्कर्ष
दुनिया के ये सात देश अब खुलकर भारतीय टैलेंट को बुला रहे हैं।
जहाँ एक ओर अमेरिका की H-1B नीति महंगी और जटिल हो रही है, वहीं दूसरी ओर बाकी देश भारतीय प्रोफेशनल्स को अवसर और सम्मान दोनों दे रहे हैं।
अगर आप विदेश में करियर या पढ़ाई का सपना देखते हैं, तो यह समय है नई दिशाओं में सोचने का।