सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया तीसरे वनडे में भारतीय टीम के लिए एक भावनात्मक पल देखने को मिला। जिस खिलाड़ी को पिछले कुछ महीनों में अनावश्यक आलोचना और कप्तानी से हटाए जाने जैसा झटका झेलना पड़ा, उस रोहित शर्मा ने अपने बल्ले से सबका जवाब दे दिया। “हिटमैन” ने शानदार शतक जड़कर यह साबित कर दिया कि अनुभव, क्लास और नेतृत्व की ताकत इतनी आसानी से खत्म नहीं होती।
रोहित शर्मा की धमाकेदार सेंचुरी
रोहित शर्मा ने इस मैच में अपनी 33वीं वनडे सेंचुरी पूरी की। उन्होंने 105 गेंदों पर 100 रन पूरे किए, जिनमें 11 चौके और 2 छक्के शामिल थे। धीमी शुरुआत के बाद उन्होंने अपनी क्लासिक फिनेस दिखाई और जैसे-जैसे पारी आगे बढ़ी, वैसे-वैसे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों पर दबाव बढ़ता गया।
सात महीने बाद वापसी कर रहे रोहित ने पहले मैच में असफलता और दूसरे में संघर्ष के बाद यह पारी खेलते हुए सभी आलोचकों को करारा जवाब दिया। यह सिर्फ एक शतक नहीं था, बल्कि एक बयान था—“मैं अभी खत्म नहीं हुआ हूं।”
विराट कोहली का भरोसेमंद 50
वहीं, उनकी जोड़ीदार विराट कोहली ने भी अर्धशतक लगाकर अपनी लय वापस पाई। पहले दो मैचों में लगातार “डक” पर आउट होने के बाद इस तीसरे मुकाबले में उन्होंने धैर्य के साथ बल्लेबाज़ी की और 56 गेंदों में 50 रन बनाकर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया।
रोहित और कोहली के बीच 100 से अधिक रनों की साझेदारी हुई, जिसने टीम इंडिया की जीत की नींव रखी। इस साझेदारी ने पुराने सुनहरे दिनों की याद दिला दी जब “रो-को” जोड़ी भारतीय बल्लेबाज़ी का दिल मानी जाती थी।
गेंदबाज़ों का अनुशासित प्रदर्शन
इस जीत में भारतीय गेंदबाजों का योगदान भी कम नहीं रहा। युवा गेंदबाज़ हर्षित राणा ने 4 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी को झकझोर दिया। किफ़ायती गेंदबाज़ी के कारण ही ऑस्ट्रेलिया की टीम 236 रनों पर सिमट गई।
कप्तानी विवाद पर उठे सवाल
लेकिन इस शानदार जीत और रोहित शर्मा की सेंचुरी के बाद जो सवाल सबसे ज्यादा उठे, वह था — “जब रोहित इतने फ़ॉर्म में हैं तो उनसे कप्तानी क्यों छीनी गई?”
भारत के पूर्व कप्तान को हाल ही में वनडे कप्तानी से हटाकर शुभमन गिल को नया कप्तान बनाया गया था। चयनकर्ताओं के इस फैसले ने क्रिकेट जगत और फैंस दोनों को हैरान किया। मैच के बाद सोशल मीडिया पर यही ट्रेंड होता दिखा — “Bring Back Rohit as Captain.”
गौतम गंभीर की कोचिंग और चयन समिति के इस नए फैसले को लेकर अब गंभीर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। आलोचकों का कहना है कि अगर 38 साल की उम्र में रोहित शर्मा इतना शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं, तो उनका अनुभव कप्तानी के लिए भी उतना ही अमूल्य है।
रोहित के प्रदर्शन ने दिया करारा जवाब
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद रोहित ने कहा — “कभी-कभी आपको मैदान पर चीज़ों का जवाब बल्ले से देना होता है।” यह बयान सीधा और सटीक था। शतक के बाद उनका जश्न शांत था, लेकिन आंखों में आत्मविश्वास झलक रहा था — यह वापसी किसी भी आलोचना के जवाब से अधिक प्रभावी थी।
विराट और रोहित की विरासत साथ-साथ
तीसरे वनडे ने ये भी दिखाया कि चाहे नई पीढ़ी कितनी भी प्रतिभाशाली क्यों न हो, भारतीय क्रिकेट की आत्मा अब भी विराट कोहली और रोहित शर्मा में बसती है। दोनों दिग्गजों ने दिखाया कि फॉर्म अस्थायी होती है, लेकिन क्लास हमेशा कायम रहती है।
निष्कर्ष
रोहित शर्मा की यह सेंचुरी सिर्फ एक पारी नहीं थी — यह सवालों का जवाब थी, यह चयनकर्ताओं को एक संदेश था, और यह फैंस के लिए उम्मीद की नई किरण थी। उनका बल्ला फिर बोल पड़ा है, और शायद अब वक्त आ गया है कि क्रिकेट बोर्ड दोबारा सोचे — क्या भारत को अब भी अपने सबसे अनुभवी कप्तान की ज़रूरत है?
विराट कोहली की धैर्य भरी पारी और रोहित शर्मा की दृढ़ वापसी ने ये साबित कर दिया कि भारतीय क्रिकेट में अनुभव और जुनून का मेल अभी भी टीम इंडिया की सबसे बड़ी ताकत है।
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